आलस्य का त्याग ( story motivation)

हिंदी कहानीया हम लोग सभी बहत पसंद करते है ৷ हिंदी कहानी अलग अलग होते है जेसे कि story motivation के लिए motivational story , love story, success story. इन मे से story motivation हम सबका प्ररना के लिए पड़ना चाहिय़े ৷

आलस्य का त्याग ( story motivation) हिंदी कहानी , एक बड़े गाँव में एक घर में किसान और उनके तिन बेटे का ৷

आलस्य का त्याग ( story motivation)

📓📓आलस्य का त्याग ( story motivation) 📓📓

एक बड़े गाँव में एक घर में किसान रहा करता था ৷ उस किसान का तिन बेटा था ৷उन तीन भाई उन गाँव का एक जमींदार का तिन बेटियो से सादी कि ৷यूँ तो तीनो साथ रहते थे, लेकिन तीनो को एक – दूसरे के सुख-दुःख से कोई लेना-देना नहीं था. तीनो अपनी ही दुनिया में खोये रहते थे, उन्हें किसी और की परवाह नहीं थी.एसे दिन बित्ता गए ৷अचानक एक दिन आधी रात को छोटे भाई का बच्चा जग गया और जोर-जोर से रोने लगा. उसने सिर में बहुत तेज दर्द होने की शिकायत की.

रात काफी हो जाने के कारण दवा की सारी दुकाने बंद हो चुकी थी. घर में भी कोई दवा नहीं थी. उस बच्चे के माता-पिता दोनों ने अपने तरीके से उसे खूब बहलाने और चुप कराने का प्रयास किया पर उनका यह सारा प्रयास बेकार गया. वह अभी भी रोने में लगा था. सभी भाई बच्चे की आवाज सुनकर भी सो रही थी ৷ बच्चे का रोना बंद नहीं तो उठ गये लेकिन कोई भी उसकी मदद के लिए आगे नहीं आया.

तीनो भाइयो के घर के सामने एक झोपड़ी थी. उसमे एक बुढ़ी महिला रहती थी ৷ बुढ़ीया भी सो रही थी. अचानक उसे बच्चे की रोने की आवाज सुनाई दी. परन्तु उसे भी आँखे खोलनी की इच्छा नहीं हो रही थी, लेकिन उसने सोचा अगर बच्चे को दर्द से राहत मिल जाती है तो सभी लोग चैन से सो सकेंगे. उसने तुरंत आलस्य त्याग कर बच्चे की माँ को आवाज लगाई – ठण्ड लगने के कारण बच्चा रो रहा है. यह ले जाओ काढ़ा. इसे पीते ही उसे सिर दर्द से आराम मिल जायेगा.

बुढ़िया की आवाज सुनकर बच्चे की माँ उस बुढ़िया के पास गई और झिझकते हुए वहां से काढ़ा ले गई और अपने बच्चे को पिला दिया. काढ़ा पीने के कुछ ही पलों बाद बच्चे को दर्द से राहत मिल गई और बच्चे के साथ – साथ सभी लोग चैन से सो गये.


शिक्षा: इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि आलस्य त्यागकर ही किसी दूसरे की मदद की जा सकती है. यह ज़िन्दगी बहुत छोटी है हमें इसे आलस्य में नहीं गुजारना चाहिए बल्कि इस जीवन का सदुपयोग करना चाहिए साथ ही हमें परोपकार के गुण को भूलना नहीं चाहिए जब कभी भी परोपकार करने का मौका मिले तो हमें खुद से जो भी सहायता हो सके वह करनी चाहिए.

by ashiqen.com

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